Kabir Das Ke Dohe | संत कबीर दास जी के दोहे | 2025

Kabir Das Ke Dohe वो अनमोल रत्न हैं, जो समय के साथ और भी चमकते हैं। हर दोहा जीवन की सच्चाई को सीधी, सधी हुई भाषा में उजागर करता है। Kabir Das Ke Dohe हमें दिखाते हैं प्रेम, भक्ति, और सत्य का असली रास्ता। ये दोहे संत कबीर दास जी जैसे अद्वितीय संत कवि और रहस्यवादी संत की अमर वाणी हैं।

कबीर दास जन्म ज्येष्ठ माह पूर्णिमा को हुआ था, जिसे आज हम कबीर जयंती के रूप में श्रद्धा से मनाते हैं। वे पढ़े-लिखे नहीं थे, पर उनकी कबीरवाणी ने भक्तिकालीन कवि की पहचान बनाई। Kabir Das Ke Dohe में छिपा है राम नाम, आत्मा और परमात्मा, और भक्ति मार्ग का रहस्य। ये दोहे तोड़ते हैं जात-पात, हटाते हैं माया और मोह, और देते हैं मानवता का संदेश जो हर युग में प्रासंगिक है।

Kabir Das Ke Dohe

  • “बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय। जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।”
  • “गुरु गोविंद दोनों खड़े, काके लागूं पाय। बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो मिलाय।”
  • “चलती चक्की देख कर, दिया कबीरा रोय। दो पाटन के बीच में, साबुत बचा न कोय।”
  • “काल करे सो आज कर, आज करे सो अब। पल में प्रलय होएगी, बहुरि करेगा कब।”
  • “दुख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय। जो सुख में सुमिरन करे, तो दुख काहे को होय।”

Kabir Das ji ke Dohe in Hindi

Kabir Das ji ke Dohe in Hindi

  • “पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय। ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।”
  • “माया मरी न मन मरा, मर-मर गये शरीर। आशा त्रिष्णा न मरी, कह गये दास कबीर।”
  • “साईं इतना दीजिए, जा में कुटुंब समाय। मैं भी भूखा न रहूं, साधु न भूखा जाय।”
  • “जो उग्या सो अंतबै, फूला सो कुमलाय। जो चिन्हा सो चूकिया, हरि रंग ना बिहाय।”
  • “कबीरा खड़ा बाज़ार में, सबकी मांगे खैर। ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर।”
  • “जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाहीं। सब अंधियारा मिट गया, जब दीपक देख्या माहीं।”

Famous Kabir Das Dohe With Meaning

  • “बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय। जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।”
  • “काल करे सो आज कर, आज करे सो अब। पल में प्रलय होएगी, बहुरि करेगा कब।”
  • “पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय। ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।”
  • “साईं इतना दीजिए, जा में कुटुंब समाय। मैं भी भूखा न रहूं, साधु न भूखा जाय।”
  • “चलती चक्की देख कर, दिया कबीरा रोय। दो पाटन के बीच में, साबुत बचा न कोय।”
  • “कबीरा खड़ा बाज़ार में, सबकी मांगे खैर। ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर।”
  • “जो उग्या सो अंतबै, फूला सो कुमलाय। जो चिन्हा सो चूकिया, हरि रंग ना बिहाय।”
  • “दुख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय। जो सुख में सुमिरन करे, तो दुख काहे को होय।”
  • “जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाहीं। सब अंधियारा मिट गया, जब दीपक देख्या माहीं।”

Kabir Das Ji Ke Dohe

  • “बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर। पंथी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर।”
  • “साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय। सार-सार को गहि रहे, थोथा देइ उड़ाय।”
  • “माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर। कर का मनका डार दे, मन का मनका फेर।”
  • “धीरे धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय। माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आये फल होय।”
  • “कबीरा खड़ा बाज़ार में, सबकी मांगे खैर। ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर।”
  • “पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय। ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।”
  • “माया मरी न मन मरा, मर-मर गये शरीर। आशा त्रिष्णा न मरी, कह गये दास कबीर।”
  • “जहाँ जाईये तहँ पहुँचा, प्रभु का ही निकट। नहीं खोजो कहीं और, वही है सच्चा हित।”
  • “जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाहीं। सब अंधियारा मिट गया, जब दीपक देख्या माहीं।”

Kabir Das In Hindi

Kabir Das In Hindi

  • “कबीर दास जी ने सरल भाषा में जीवन का गहरा सच बताया। उनके दोहे आज भी लोगों के लिए मार्गदर्शन हैं।”
  • “उनकी वाणी में भक्ति और ज्ञान का संगम मिलता है। कबीर ने जात-पात और माया से ऊपर उठने की बात कही।”
  • “कबीर दास का जन्म ज्येष्ठ माह पूर्णिमा को हुआ था। वे पढ़े-लिखे नहीं थे, फिर भी उनकी कविताएं अमर हैं।”
  • “उनके दोहों में आत्मा और परमात्मा का संबंध स्पष्ट होता है। कबीर ने ध्यान और सुमिरन की महत्ता बताई।”
  • “कबीरवाणी में सरल शब्दों में जीवन का सत्य और भक्ति मार्ग सिखाया गया है। ये दोहे आज भी लोकप्रिय हैं।”
  • “संत कबीर दास जी ने नीरसता से बचकर प्रेम का संदेश दिया। उनकी वाणी मानवता और समता का प्रतीक है।”
  • “कबीर के दोहे समाज में फैली गलत धारणाओं और अज्ञानता को दूर करने का काम करते हैं।”
  • “उनके उपदेश धार्मिक एवं आध्यात्मिक ज्ञान से भरे हैं, जो आज के जीवन दर्शन में भी उपयोगी हैं।”
  • “कबीर दास की सोच में वैराग्य और सांसारिक मोह से मुक्ति का रास्ता साफ दिखता है।”

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Kabir Das Images

  • “कबीर दास की तस्वीरें उनकी सरल और आत्मिक छवि को दर्शाती हैं। वे एक रहस्यवादी संत के रूप में देखे जाते हैं।”
  • “उनकी तस्वीरों में अक्सर ध्यानमग्न और साधु के रूप में उनकी छवि मिलती है, जो आध्यात्मिक शांति दर्शाती है।”
  • “कबीर दास के चित्रों में उनके हाथ में माला और किताब दिखती है, जो भक्ति और ज्ञान का प्रतीक है।”
  • “संत कबीर की छवियां भारतीय संस्कृति और भक्ति आंदोलन की गहराई को प्रकट करती हैं।”
  • “उनकी तस्वीरों में भक्ति मार्ग और आत्मज्ञान की प्रेरणा साफ झलकती है।”
  • “कबीर दास की छवियों से उनके जीवन दर्शन और धार्मिक उपदेशों की गूंज मिलती है।”
  • “कई चित्रों में कबीर दास को ध्यान और सुमिरन करते हुए दिखाया गया है, जो उनकी साधना की ओर संकेत करता है।”
  • “उनकी तस्वीरें भक्ति आंदोलन और कबीरपंथ की विरासत को जीवित रखती हैं।”
  • “कबीर दास के चित्रों में उनकी आत्मा और परमात्मा के बीच गहरे संबंध को समझा जा सकता है।”

Kabir Das Dohe

  • “कबीर दास के दोहे सरल भाषा में गहरे सत्य को बताते हैं। वे जीवन की जटिलताओं को आसान बनाते हैं।”
  • “उनके दोहों में भक्ति, ज्ञान, और मानवता का संदेश साफ झलकता है। ये दोहे आज भी प्रासंगिक हैं।”
  • “कबीर के दोहे जात-पात और माया-मोह से ऊपर उठने का आग्रह करते हैं। ये सभी के लिए समानता का उपदेश देते हैं।”
  • “उनके दोहों में ध्यान और सुमिरन की महत्ता बताई गई है, जो आत्मा और परमात्मा को जोड़ते हैं।”
  • “कबीर के दोहे जीवन के सत्य और भक्ति मार्ग को सरल और प्रभावी तरीके से समझाते हैं।”
  • “दोहे हमें सिखाते हैं कि असली ज्ञान और सच्चाई माया और अज्ञान से परे होती है।”
  • “कबीरवाणी के दोहे भावनाओं को छूते हैं और आत्मचिंतन के लिए प्रेरित करते हैं।”
  • “उनके दोहे आज भी धार्मिक उपदेश और आध्यात्मिक ज्ञान का अमूल्य स्रोत हैं।”
  • “कबीर दास के दोहे जीवन की सच्चाई, प्रेम का संदेश और ईश्वर भक्ति की महत्ता को उजागर करते हैं।”

Famous Kabir Das Dohe

Famous Kabir Das Dohe

  • “कबीर दास जी के दोहे जीवन की गहरी सच्चाइयों को सरल भाषा में बताते हैं और हमें सही रास्ता दिखाते हैं।”
  • “उनके दोहे माया और मोह से दूर रहकर सच्चाई और प्रेम को अपनाने का संदेश देते हैं।”
  • “कबीर का हर दोहा आत्मा और परमात्मा के बीच के रिश्ते को समझाने का प्रयास करता है।”
  • “कबीर दास के दोहे जात-पात और भेदभाव से ऊपर उठकर समानता और मानवता का उपदेश देते हैं।”
  • “उनके दोहे हमें ध्यान और सुमिरन की महत्ता बताकर भक्ति मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं।”
  • “कबीरवाणी के दोहे सरल और प्रभावशाली शब्दों में जीवन का सत्य और आध्यात्मिक ज्ञान देते हैं।”
  • “कबीर के दोहे जीवन के असली उद्देश्य को पहचानने और सांसारिक मोह से मुक्ति पाने की सीख देते हैं।”
  • “उनके दोहे आज भी लोगों के दिलों में गूंजते हैं और आध्यात्मिक जागरण का कारण बनते हैं।”
  • “कबीर दास के दोहे प्रेम, शांति और ईश्वर भक्ति के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं।”
  • “उनके दोहे हमें सिखाते हैं कि सच्चा ज्ञान पुस्तक पढ़ने में नहीं, बल्कि आत्मज्ञान में होता है।”
  • “कबीर के दोहे भक्ति और ज्ञान के संतुलन को समझाते हैं, जिससे जीवन में संतुलन आता है।”
  • “उनके दोहे सांसारिक मोह से ऊपर उठकर सच्चे परम सत्य की खोज करने को कहते हैं।”
  • “कबीर दास के दोहे समाज में फैले अज्ञान और अंधविश्वास को दूर करने में मदद करते हैं।”
  • “उनके दोहे आत्मचिंतन और धर्म के सही अर्थ को समझाने में सहायक होते हैं।”
  • “कबीर के दोहे हमें जीवन के सत्य को पहचानने और नैतिकता का पालन करने का रास्ता दिखाते हैं।”
  • “उनके दोहे सरल भाषा में गहन आध्यात्मिक उपदेश देते हैं, जो हर वर्ग के लिए समझने योग्य हैं।”
  • “कबीर दास के दोहे भक्तिकालीन कविताओं का अनमोल हिस्सा हैं, जो सदियों से मानवता को प्रेरित करते हैं।
  • “उनके दोहे हमें सिखाते हैं कि आत्मा और परमात्मा में फर्क नहीं, दोनों एक ही हैं।”
  • “कबीर दास के दोहे जीवन के रहस्यों को खोलते हैं और वैराग्य की ओर मार्गदर्शन करते हैं।”
  • “उनके दोहे सरल और प्रभावशाली होते हैं, जो हर इंसान के लिए जीवन दर्शन का स्रोत बनते हैं।”

FAQ’s

कबीर दास के दोहे कब और किसने लिखे?

कबीर दास के दोहे संत कबीर दास जी ने 15वीं सदी में भक्ति काल में लिखे थे। ये दोहे आध्यात्मिक और जीवन के सत्यों को दर्शाते हैं।

कबीर दास के दोहे किस भाषा में हैं?

Kabir Das Ke Dohe हिंदी और अवधी भाषा में लिखे गए हैं। ये सरल भाषा में गहरे अर्थ प्रस्तुत करते हैं।

कबीर दास के दोहे किन विषयों पर आधारित हैं?

Kabir Das Ke Dohe भक्ति, प्रेम, आत्मा और परमात्मा, माया, मोह और जात-पात विरोध जैसे विषयों पर केंद्रित हैं।

कबीर दास के दोहे किस शैली में लिखे गए हैं?

Kabir Das Ke Dohe संक्षिप्त, सरल और अर्थपूर्ण काव्य शैली में लिखे गए हैं, जो ध्यान और सुमिरन का मार्ग दिखाते हैं।

कबीर दास के दोहे समाज में किस संदेश को बढ़ावा देते हैं?

Kabir Das Ke Dohe समता, समानता और मानवता का संदेश देते हैं। ये जाति और पातिभेद को चुनौती देते हैं।

Conclusion

Kabir Das Ke Dohe | संत कबीर दास जी के दोहे | हमें जीवन के सरल और गहरे सच बताते हैं। ये दोहे रोज़मर्रा की समस्याओं का हल आसान भाषा में देते हैं। Kabir Das Ke Dohe में प्रेम, भक्ति और आध्यात्मिक ज्ञान का संदेश छुपा है। ये दोहे जात-पात और माया-मोह से ऊपर उठने की सीख देते हैं। इसलिए Kabir Das Ke Dohe आज भी हमारी ज़िंदगी में बहुत महत्वपूर्ण हैं।

इन दोहों को पढ़कर हम अपने अंदर आत्मचिंतन और सच्चाई को पा सकते हैं। Kabir Das Ke Dohe हमें सही रास्ता दिखाते हैं और हमारे मन को शांति देते हैं। जीवन में जब भी हम उलझन में हों, ये दोहे हमारी मदद कर सकते हैं। इसलिए Kabir Das Ke Dohe हर घर की ज़रूरत हैं। वे हमेशा हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत रहेंगे।

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